*हर दिन हम हारते है, और जीतते है।
हारते तो तब है, जब किसी से आशा करते है।
और जीतते तब है, जब किसी से बिना किसी आशा से हमे अपने आप मिलता है ।
*आशा क्यो करते है? ?
जब हमे किसी से ज्यादा लगाव हो जाता है । फिर हमे उससे आशा हो जाती है ।
*हमारे हार का कारण क्या है? ?
हमारे हार का कारण हमे खुद पे विश्वास न करके दूसरो पे आशा करना ।
*हमारी जीत कब हार मे बदलने लग जाती है? ?
जब हम अपनी जीतने वाली समय की मेहनत को भूल कर दूसरो से आशा करने लग जाते जरा सोचिए जब आप हारते है, तो जो आपके साथ है उसे हम अशुभ मानने लग जाते है और जब जीतते है, तो उसे शुभ ।सारा खेल मेहनत का है ।मेहनत खुद से कीजिए और किसी से आशा मत कीजिये । आप कभी भी नही हारेंगे ।
हारते तो तब है, जब किसी से आशा करते है।
और जीतते तब है, जब किसी से बिना किसी आशा से हमे अपने आप मिलता है ।
*आशा क्यो करते है? ?
जब हमे किसी से ज्यादा लगाव हो जाता है । फिर हमे उससे आशा हो जाती है ।
*हमारे हार का कारण क्या है? ?
हमारे हार का कारण हमे खुद पे विश्वास न करके दूसरो पे आशा करना ।
*हमारी जीत कब हार मे बदलने लग जाती है? ?
जब हम अपनी जीतने वाली समय की मेहनत को भूल कर दूसरो से आशा करने लग जाते जरा सोचिए जब आप हारते है, तो जो आपके साथ है उसे हम अशुभ मानने लग जाते है और जब जीतते है, तो उसे शुभ ।सारा खेल मेहनत का है ।मेहनत खुद से कीजिए और किसी से आशा मत कीजिये । आप कभी भी नही हारेंगे ।
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